Tuesday, September 7, 2010

गणेश चतुर्थी

भगवन गणेश , शिव जी और माता पारवती के पुत्र हैं
भगवन गणेश की आराधन सभी भगवानो के पूर्व की जाती है अर्थात हार पूजा के प्रारंभ में गणेश जी की पूजा की जताई है. गणेश जी के अनेक मंदिर है और लोग पूरी श्रद्धा के साथ उनके मंदिर में जाते है गणेश चतुर्थी के दिन लोग व्रत रखते हैं ये फलाहार व्रत होता है. कई प्रदेशूं में गणेश जी की मूरत की स्थापना अपने घर में भी की जाती है . लोग इस मूरत के आगे सुबह शाम भोग लगते है और आरती करते हैं .


गणेश जी की पूजा के लिए अनेक मंत्र पढ़े जाते हैं पार सबसे प्रस्सिध मंत्र है " श्री गनेशायः नमः "


इसके अलावा गणपति स्त्रोत्र भी पड़ा जाता है






गणपति  महोत्सव या  गणेश   चतुर्थी -11-09-2010 se 22-09-2010
इस   बार  गणपति  महोत्सव  यानी  भाद्रपद  मॉस  शुक्ल  पक्ष की  चतुर्थी  तिथि   से  चतुर्दशी  तिथि  तक  11 सितम्बर  से  22 सितम्बर  तक   hai . क्यूंकि  इस  बार  द्वादशी  तिथि  की  वृद्धि   हो   गयी  है  लिहाजा  एक  दिन  बढ़  गया  है .
गणपति स्थापना मुहूर्त  :- गणपति   की  स्थापना  मध्याहन  में   होनी  चाहिए . राहुकाल   सुबह  10:30 बजे  ही  ख़त्म  हो  जायेगा  और  भद्र  भी  दोपहर  बाद  3:54(P .M)  से  लगेगी   लिहाजा  दोपहर  का  समय   बिलकुल  साफ  है   अभिजित  मुहूर्त  दोपहर  11:50 से  12:25 तक  होगा  .इसी समय  स्थापना  करना  शुभ  रहेगा 
चन्द्र  दर्शन  निषेध  :- इस  दिन(chaturthi ke din)  चन्द्रमा  नहीं  देखा  जाता  है  अगर  कोई  गलती  से  देख  ले  तो  ये  मंत्र  पढने  से  दोष  कटता  है
“सिंह  प्रसेन  वाधीत  सिंघी  जामवंत वांट  हतः
सुकुमार  मरोदिस्तव  हयेष  स्यमन्तक”
गणपति  पूजन  में  क्या  नहीं  करनी  चाहिए  :-
1- गणेश  जी  को  तुलसी  दल  नहीं  चढ़ाना  चाहिए
2-तीन  गणेश  की  पूजा  नहीं  करनी  चाहिए
3-तुलसी  की  माला  पे   गणेश  जी  का  जाप  नहीं  करna   चाहिए
किस  राशी  वाले  को   किस  गणेश  की  पूजा  करनी  चाहिए ,कितने  मंत्र  पढने  चाहिए  गणपति  को  कहा  बैठना  चाहिए     आदि  आदि -----------


गणपति  करेंगे  बेडा   पार
मेष  और  वृचिक  राशी  :-
-          मंगल  है  इन  दो  राशियों  का  स्वामी
-          मूंगा  है  राशी  का  रत्न  और  धातु  है  तम्बा
-          मुंगे  और  तम्बा  के  गणपति  बरसाएंगे  धन  और  विद्या
-          जस्ते  के गणपति  भी  कर  सकते  है  उद्धार
-          मिटटी  के  सिंदूरी  या  ताम्बे  के   रंग  के  गणपति  भी  फायेदेमंद
-          घर  पे  पहले  से  ही  गणपति  होने  पर  नित्य  सिंदूर  चढ़ाये
-          गणपति  को  दक्चिन -पूर्व  दिशा  में  स्थापित  करे
-          नित्य  गणपति  के  दस  हजार  मंत्र  का  जाप  करें
वरिश  और  तुला  राशी
-         शुक्र  है  इन  दो  राशियों  का  स्वामी
-         हिरा  है  राशी  का  रत्न
-         हीरे  जड़े   गणपति  लेना  श्रेयस्कर होगा
-         सफ़ेद  मार्बल  या  crystal के  गणपति  भी  फायेदेमंद
-         गणपति  को  दक्षिण -पूर्व  कोने  में  स्थापित  करे
-         १६  हजार  की  संख्या  में  मंत्र  का  जाप  करे सिंह  राशी  :
-         सूर्य  है  सिंह  राशी  का  स्वामी
-         मानिक  है  राशी  का  रत्न  और  धातु  है  तम्बा
-         मणिकी  या  ताम्बे    के  गणपति  स्थापित  करे
-         मिटटी  के  लाल  या  ओरंगे  रंग   के  गणपति  भी  शुभ  है
-         पूजा  घर  के  बिच  में  स्थापित  करे
-         7 हजार  की  संख्या  में  मंत्र  का  जाप  करें
कर्क  राशी  :
-         चन्द्रमा  कर्क  राशी  का  स्वामी  है
-         मोती  है  राशी  का   रत्न  और  शुभ  धातु  है  चंडी
-         मोती  और  चंडी  के  गणेश  स्थापित  करना  फलदायक
-         सफ़ेद  marbal या  मिटटी  के  सफ़ेद  और  सिल्वर  कलर  के  गणपति  शुभ
-         पूजा  घर  की  उत्तर  पश्चिम   दिशा  में  स्थापित  करे
-         11 हजार  की  संख्या  में  मंत्र  जाप  करे


मिथुन   और  कन्या
-         बुध  है  इन  दो  राशियों  का  स्वामी
-         पन्ना  है  राशी  का  रत्न
-         पन्ना  जरे  गणपति  बनायेंगे  करोडपति 
-         Onex या  green stone के   गणपति  भी  बरसाएंगे  कृपा
-         मिटटी  के  हरे  रंग  के  गणपति  भी  फायदेमंद
-         गणपति  को  पूजा  घर  के  उत्तर के   हिस्से  में  स्थापित  करे
-         मंत्र  का  9 हजार  की  संख्या  में  जाप  करे

मकर  और  कुम्भ
-शनि  है  इन  दो  राशियों  का  स्वामी
-नीलम  है  राशी  का  रत्न  और  लोहा  है  शुभ  धातु
-नेले  रंग  के  गणपति  करेंगे  बेडा  पर
-मिटटी  के  गणपति  को  नेले  वस्त्र  पहनना   बेहद  शुभ
-पूजा  घर  की  पक्चिमी  दिशा  में  स्थापित  करे
-२३ हजार  की  संख्या  में  मंत्र  जपे


धनु  और  मीन :
-बृहस्पति  है  इन  दो   साथियों  का  स्वामी
-पुखराज  है  राशी  का  रत्न  और  शुभ  धातु  है  सोना
-पुखराज जडित  सोने  के  गणपति  बेहद   शुभ है
-मिटटी  के पीले  रंग  के  गणपति  भी  फायेदेमंद
-पूजा  घर  की  उत्तर -पूर्व  दिशा  में  स्थापित  करे
-19 हजार  की  संख्या  में  मंत्र  का  जाप  करे











गणपति  जी  की   आरती

जय  गणेश , जय  गणेश , जय  गणेश  देवा
माता   जाकी  पारवती , पिता  महादेव .
एक  दन्त  दयावंत , चार  भुजा  धरी
माथे  पर  तिलक  सोहे , मुसे  की  सवारी
पण  चढ़े , फुल  चढ़े , और  चढ़े  मेवा
लड्दुँ  का  भोग  लगे , संत  करे  सेवा .
जय  गणेश , जय  गणेश , जय  गणेश  देवा ,
माता  जाकी   पारवती , पिता  महादेव ...
अनधन  को  आंख  देत , कोधीन  को  काया
बंज्हन   को  पुत्र  देत , निर्धन  को  माया
सूर्य  शाम   शरण  ए , सफल  कीजे  सेवा .
जय  गणेश , जय  गणेश , जय  गणेश   देवा ,
माता  जाकी  पारवती , पिता  महादेव ...

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