Rahukaal is the time in day which is called the time of Rahu . Rahukaal varies with date and place. That means rahukaal keeps changing for different days and is also different for different places(difference is due to the change in standard time). Any holy , auspicious or good work should never be started during the rahukaal. Rahukaal lasts for nearly two hours. As per Indian mythology and vedic shastras it is recommened to avoid doing good things in this time span.
Acharya Indu Prakash Ji has provided the Rahukaal for major cities as under which is updated every month.
If you want to see the rahukaal for your city kindly visit http://www.acharyainduprakash.com/en/services/rahukaal.html
website of Acharya Ji is : www.acharyainduprakash.com http://www.acharyainduprakash.com/
Acharya Indu Prakash was born in Lucknow on March 21, 1958 in a jyotish family. The foundation of astrology was inculcated in him at an early age. His grandfather Shree 'Gangadhar Misra' helped him learn astrology in more details. Later he continued his learning process from his guru, Swami Ramlochan Swaroop Brahmchari. Acharya Indu Prakash can be seen on India TV (a national news television channel) on its morning shows educating people with his divine knowledge.
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Thursday, October 7, 2010
Thursday, September 16, 2010
माता महालक्ष्मी पूजा -
महालक्ष्मी पूजा व्रत १५ सितम्बर से प्रारंभ हो रहा है तथा इसका समापन १ अक्टुबर को होगा /इस व्रत के दौरान जो पूर्णिमा पड़ती है उस दिन भी कुछ लोग व्रत रहते है l उसे उमा महेश्वर व्रत कहते है जो की इस वर्ष २२ सितम्बर को पद रहा है l
महालक्ष्मी व्रत कुल १६ दिनों का होता है ,जो की जन-मानस के लिए बहुत उपयोगी है /यदि विधि विधान से पूर्ण भक्ति से ये व्रत किया जाय तो मनोकामना पूर्ण होती है l
यह व्रत १६ (इस वर्ष 17) दिनों का होता है लेकिन आप किन्ही कारणों से यह व्रत इतने लम्बी अवधि के लिए न कर पाए तो तो ३ दिन के लिए भी कर सकते है प्रथम ,मध्य एवं अंतिम होता है इस वर्ष ये दिन है १५ सितम्बर ,२२ सितम्बर तथा १ अक्टुबर
इस व्रत के लिए यह सलाह दी जाती है की व्यक्ति इसे १६ वर्ष तक निरंतर रहते है तथा "उमा महेश्वरी व्रत "१८ वर्ष तक रहे ,यदि आप ये व्रत इस प्रकार से निरंतर रहते है तो सर्वथा सभी कामनाओ की पूर्ति होगी ,इसमें कोई संसय नहीं l
महालक्ष्मी व्रत ( विधान )१- लकड़ी की चौकी पर श्वेत रेशमी आसन (कपडा )बिछाएं ,रेशम के अभाव में कोई भी श्वेत वस्त्र बिछा सकते है परन्तु वस्त्र रेशमी हो तो उचित रहेगा l
२- यदि आप मूर्ति का प्रयोग कर रहे हो तो उसे आप लाल वस्त्र से सजाएँ l
३- संभव हो तो एक कलश पर अखंड ज्योति स्थापित करें
४-सुबह तथा संध्या के पूजा आरती करें /खीर, मेवा,मिठाई का नित्य भोग लगायें l
५- लाल कलावे का टुकड़ा लीजिये तथा उसमे १६ गांठे लगा कर कलाई में बांध लीजिये इस प्रकार प्रथम दिन सुबह पूजा के समय प्रत्येक घर के सदस्य इसे बांधे एवं पूजा के पश्चात इसे उतार कर लक्ष्मी जी के चरणों में रख दें इसका प्रयोग पुनः अंतिम दिन संध्या पूजा के समय होगा l
७- इसमें १६ श्रृंगार के सामान १६ ही की संख्या में और दूसरी थाली अथवा सूप से ढकें ,१६ दिए जलाएं ,पूजा करें,थाली में रखे सुहाग के सामान को देवी जी को स्पर्श कराएँ एवं उसे दान करने का प्रण लें l
महालक्ष्मी व्रत कुल १६ दिनों का होता है ,जो की जन-मानस के लिए बहुत उपयोगी है /यदि विधि विधान से पूर्ण भक्ति से ये व्रत किया जाय तो मनोकामना पूर्ण होती है l
यह व्रत १६ (इस वर्ष 17) दिनों का होता है लेकिन आप किन्ही कारणों से यह व्रत इतने लम्बी अवधि के लिए न कर पाए तो तो ३ दिन के लिए भी कर सकते है प्रथम ,मध्य एवं अंतिम होता है इस वर्ष ये दिन है १५ सितम्बर ,२२ सितम्बर तथा १ अक्टुबर
इस व्रत के लिए यह सलाह दी जाती है की व्यक्ति इसे १६ वर्ष तक निरंतर रहते है तथा "उमा महेश्वरी व्रत "१८ वर्ष तक रहे ,यदि आप ये व्रत इस प्रकार से निरंतर रहते है तो सर्वथा सभी कामनाओ की पूर्ति होगी ,इसमें कोई संसय नहीं l
महालक्ष्मी व्रत ( विधान )१- लकड़ी की चौकी पर श्वेत रेशमी आसन (कपडा )बिछाएं ,रेशम के अभाव में कोई भी श्वेत वस्त्र बिछा सकते है परन्तु वस्त्र रेशमी हो तो उचित रहेगा l
२- यदि आप मूर्ति का प्रयोग कर रहे हो तो उसे आप लाल वस्त्र से सजाएँ l
३- संभव हो तो एक कलश पर अखंड ज्योति स्थापित करें
४-सुबह तथा संध्या के पूजा आरती करें /खीर, मेवा,मिठाई का नित्य भोग लगायें l
५- लाल कलावे का टुकड़ा लीजिये तथा उसमे १६ गांठे लगा कर कलाई में बांध लीजिये इस प्रकार प्रथम दिन सुबह पूजा के समय प्रत्येक घर के सदस्य इसे बांधे एवं पूजा के पश्चात इसे उतार कर लक्ष्मी जी के चरणों में रख दें इसका प्रयोग पुनः अंतिम दिन संध्या पूजा के समय होगा l
६- व्रत के अंतिम दिन उद्यापन के समय बांस के बने दो सूप लें (बांस की सिकरी) ,किसी कारण बस आप को सूप ना मिले तो आप नए स्टील की थाली ले सकते है
७- इसमें १६ श्रृंगार के सामान १६ ही की संख्या में और दूसरी थाली अथवा सूप से ढकें ,१६ दिए जलाएं ,पूजा करें,थाली में रखे सुहाग के सामान को देवी जी को स्पर्श कराएँ एवं उसे दान करने का प्रण लें l
८- जब चन्द्रमा निकल आये तो लोटा में जल लेके तारों को अर्घ दें तथा उत्तर दिशा की ओर मुंह कर के पति पत्नी एक दुसरे का हाथ थाम कर के माता महालक्ष्मी को अपने घर आने का (हे माता महालक्ष्मी मेरे घर आ जाओ )इस प्रकार तीन बार आग्रह करें l
९-इसके पश्चात एक सुन्दर थाली में माता महालक्ष्मी के लिए बिना लहसुन प्याज का ,भोजन सजाएँ तथा घर के उन सभी सदस्यों को भी थाली लगायें जो व्रत है/यदि संभव हो तो माता को चादी की थाली में भोजन परोसें उत्तर दिशां में मुह करके बाकि व्रती पूर्व या पक्छिम दिशा की ओर मुह कर के भोजन करें l
१०-भोजन में पूरी ,सब्जी, रायता और खीर हो l
११-भोजन के पश्चात माता की थाली ढँक दें एवं सूप में रखा सामान भी रात भर ढंका रहने दें ,सुबह उठ के इस भोजन को किसी गाय को और दान सामग्री को किसी ब्राह्मण को ,जो की इस व्रत की अवधी में महालक्ष्मी का जाप करता हो, देकर आशीर्वाद लें l
दान सामग्री की सूची :
-चुनरी
-बिंदी
-सिंदूर
-पनरंदा (रिब्बन)
-कंघा (कोब्म)
-शीशा
-वस्त्र १६ मीटर श्वेत वस्त्र या १६ रुमाल
-बिछिया
-नाक की खील या नथ
-फल
-मिठाई
-मेवा
-लौंग
-इलायची
-बिंदी
-सिंदूर
-पनरंदा (रिब्बन)
-कंघा (कोब्म)
-शीशा
-वस्त्र १६ मीटर श्वेत वस्त्र या १६ रुमाल
-बिछिया
-नाक की खील या नथ
-फल
-मिठाई
-मेवा
-लौंग
-इलायची
महालक्ष्मी जी का मंत्र- "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रासिद प्रासिद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्षमाये नमः"
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